1. पर्वतीय क्षेत्र
जब भी हमें छुट्टियों का समय मिलता है तो हम निकल जाते हैं कहीं
घूमने-फिरने। यदि आप भारतीय जमीन पर रहते हैं तो अधिकतम लोग छुट्टियां
मिलते ही किसी पर्वतीय क्षेत्र में जाना पसंद करते हैं।
2. हरा-भरा माहौल
जहां आसपास हरियाली हो, सुंदर पहाड़ हो और आसपास ऐसी जगहें बनी हों जहां रुक
कर प्रकृति का आनंद उठाया जाए। और जब भारत जैसे देश में हम पर्वतीय
क्षेत्र की बात करते हैं हिमाचल प्रदेश जैसा अच्छा स्थान नहीं हो सकता। यह
वह स्थान है जहां पहुंचने पर शायद हर किसी के मुंह से एक बार ‘जन्नत’ शब्द
तो जरूर निकलता होगा।
3. मौका पाते ही जाते हैं हम
स्कूल, कॉलेज या ऑफिस से यदि 2-3 दिन की राहत भी मिल जाए तो सुंदर पहाड़ियों
पर समय काटने के लिए काफी होती हैं। चलिए आप ही बताएं यदि आपको यह मौका
मिले तो आप हिमाचल जैसे पर्वतीय क्षेत्र में किस तरह से छुट्टियां मनाते
हैं?
4. आप क्या करते हैं?
किसी प्रसिद्ध जगह पर जाकर, पर्वतों से संबंधित कुछ रोचक एक्टीविटीज करके
या फिर जैसे कि कुछ लोग हिमाचल के आसपास धार्मिक स्थानों के दर्शन करते हैं
वैसे? खैर आप हिमाचल में किसी धार्मिक स्थल के मकसद से जाएं या ना जाएं
लेकिन फिर भी आपको रास्ते में कई धार्मिक स्थान मिल जाएंगे।
5. धार्मिक स्थल
कुछ तो ऐतिहासिक होंगे, लेकिन कुछ ऐतिहासिक ना होकर भी लोगों की मान्यता
एवं श्रद्धा के अनुसार बनाए गए हैं। रास्ते से गुजरते हुए शायद आपको हर 2
किलोमीटर के अंतर पर कोई ना कोई धार्मिक स्थल, जैसे कि छोटे-छोटे मंदिर,
मान्यता पर आधारित धार्मिक पीठ, इत्यादि।
6. यहीं क्यों!
लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि हिमालय जैसे इलाके में ही यह मंदिर-पीठ
इत्यादि क्यों बनाए जाते हैं? भारी मात्रा में धार्मिक स्थल इन्हीं
क्षेत्रों में क्यों पाए जाते हैं? शायद आपको यह बात अजीब लग रही हो लेकिन
यह सच है कि भारत में यदि किसी जगह अधिकतम धार्मिक स्थल हैं तो वह हिमालय
में ही हैं।
7. एक सवाल
परंतु ऐसा क्यों! किसी भी अन्य राज्य की तुलना में पर्वतीय क्षेत्र में ही
सबसे अधिक मंदिर-पीठ होने का क्या महत्व है? प्रसिद्ध कवि रविंद्र नाथ
टैगोर ने अपनी एक पुस्तक ‘साधना- दि रियलायज़ेशन ऑफ लाइफ’ में इसी मुद्दे को
उठाया है।
8. साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान
उन्होंने बताया कि भारत में जब-जब साधना एवं भक्ति के लिए जगह की खोज की
जाती है, तो किसी शांत, हरियाली से भरे माहौल को ही चुना जाता है। एक ऐसे
स्थान को चुनने पर तवज्जो दी जाती है जहां आसपास का शांत पर्यावरण मन एवं
दिमाग को शांति पहुंचाए।
9. हर किसी के लिए सही
लेकिन टैगोर ने यह भी बताया कि यह बात केवल भारतीय सीमा तक ही लागू नहीं
होती। उन्होंने बताया कि क्रिश्चियनिटी में भी गिरिजाघर एवं मोनास्ट्री के
लिए ऐसी ही हरी-भरी जगहों का चयन किया जाता है।
10. सुखमय स्थान
यह जगहें आत्मा को सुख प्रदान करती है, प्रकृति का यह रूप हमारी आत्मा को
परमात्मा से मिलाने में सहायक सिद्ध होता है। शायद इसीलिए प्राचील काल से
अब तक जब-जब ऋषि-मुनियों के मन में तपस्या का ख्याल आया है उन्होंने हिमालय
की सुंदर वादियों की ओर ही रुख किया है।
11. हर किसी के लिए परफेक्ट
पर आप इस गहतफहमी में ना रहिए कि केवल ऋषि-मुनि ही ऐसी वादियों पर जाकर
परमात्मा से मिलने वाले सुख को प्राप्त करते हैं। स्वयं हम भी जब इन सुंदर
वादियों में प्रवेश करते हैं तो अपने दिमाग को शांत पाते हैं। हमारी आंखें
एक अजब-सी ठंडक को महसूस करती हैं और यही ठंडक हमारी आत्मा को शांत करती
है।
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