1. हिन्दू धर्म
हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं क्लो विशिष्ट स्थानों से नवाजा गया है,
इतना ही नहीं ये सभी देवी-देवताएं मनुष्य़ जीवन को अपनी-अपनी तरह से
प्रभावित भी करते हैं और उनके लिए उपयोगी भी होते हैं।
2. देवी सरस्वती
देवी सरस्वती की बात करें तो उन्हें ज्ञान, पवित्रता और बुद्धि की देवी कहा
जाता है। तस्वीरों और पौराणिक कहानियों की बात करें तो उनमें कमल के फूल
पर विराजित माता सरस्वती के हाथ में वीणा दिखाई जाती है।
3. सरस्वती देवी की वीणा
कभी आपने सोचा हैं सरस्वती देवी की वीणा से क्या संबंध है? वे ज्ञान की
देवी हैं तो इसमें वीणा की क्या भूमिका है? हां, उन्हें संगीत की देवी भी
कहा जाता है लेकिन अन्य किसी भी वाद्य यंत्र को छोड़कर उन्होंने वीणा ही
क्यों थामी?
4. सवाल
वैसे ये सवाल थोड़े सामान्य है लेकिन इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि अब
तक भले ही आपने इस विषय पर ना सोचा हो, लेकिन अब जब ये बात सामने आई है तो
अब आपके मस्तिष्क में इस सावल के जवाब की कुलबुलाहट हो रही होगी।
5. मोक्ष
दरअसल समस्त वाद्य यंत्रों में वीणा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसकी
धुनों का संबंध सीधे ईश्वर से स्थापित होता है। ऋषि यज्ञवल्क्य ने कहा भी
था “वे मनुष्य जिसे वीणा में महारथ हासिल है, उसे बिना प्रयास के मोक्ष की
प्राप्ति होती है”। देवी सरस्वती के हाथ मंं वीणा बहुत कुछ दर्शाती हैं।
6. अज्ञान के अंधकार
देवी सरस्वती के हाथ में जो वीणा है उसे “ज्ञान वीणा” कहा जाता है। यह
ज्ञान, अध्यात्म, धर्म और अन्य सभी भौतिक वस्तुओं से संबंधित है। जब वीणा
को बजाया जाता है, उसमें से निकलने वाली धुन चारों ओर फैले अज्ञान के
अंधकार का नाश करती हैं।
7. निपुणता
सरस्वती देवी, वीणा के ऊपरी भाग को अपने बाएं हाथ से निचले भाग को अपने
दाएं हाथ से थामे नजर आती हैं। यह ज्ञान के हर क्षेत्र पर निपुणता के साथ
उनके नियंत्रण को दर्शाता है।
8. न्य देवी-देवता
वीणा के भीतर अन्य देवी-देवता भी विराजते हैं। ऐसा माना जाता है कि वीणा की
गर्दन के भाग में महादेव, इसकी तार में पार्वती, पुल पर लक्ष्मी, सिरे पर
विष्णु और अन्य सभी स्थानों पर सरस्वती का वास होता है। वीणा को समस्त
सुखों का स्रोत भी माना जाता है।
9. भारतीय संगीत
वीणा, भारतीय संगीत की हर व्यवस्था को प्रदर्शित करती है। तार वाले वाद्य यंत्रों को सामान्य तौर पर वीणा का ही नाम दे दिया जाता है।
10. वीणा की धुन
वीणा की धुन रचना के मौलिकता को प्रदर्शित करती है। ये ब्रह्मांड में प्राण
भरने का कार्य करती है। वीणा की धुन, उसकी तारें जीवन को दर्शाती हैं।
इसके स्वर स्त्री स्वर से मेल खाते हैं।
11. वीणा की कंपन
वीणा की कंपन दैवीय ज्ञान की ओर इशारा करती हैं। वीणा के बजने पर ये ज्ञान पानी की तरह बहने लगता है।
12. ज्ञान का प्रसार
वीणा दर्शाती हैं कि ज्ञान का प्रसार हमेशा दक्षता और कलात्मकता से पकिया
जाना चाहिए। वीणा की तारें, इन्द्रीयों का प्रतिनिधित्व करती हैं। तारों पर
नियंत्रण अर्थात अपनी इन्द्रियों को अपने नियंत्रण में रखना।
13. कच्छपी
वीणा का दैविक नाम “कच्छपी” अर्थात मादा कच्छप है। यह दर्शाता है कि जिस
तरह निष्क्रियता के काल में कच्छप अपनी सभी इन्द्रियों को हटा लेता है, कुछ
इसी तरह मनुष्य को भी अपनी इन्द्रियों और इच्छाओं को नियंत्रित कर लेना
चाहिए।
14. मधुर स्वर
ऐसा करने के बाद ही वीणा के मधुर स्वर को समझा जा सकता है औरा इसका
आध्यात्मिक आनंद प्राप्त किया जा सकता है। यही वजह है कि कुछ कलाकार वीणा
के ऊपरी भाग को कच्छप की तरह दर्शाते हैं।
15. देवी सरस्वती
जिस तरह मादा कच्छपी अंडों में से निकले बच्चों को सुरक्षित स्थान पर रखने
के बाद उनपर ध्यान देते हुए अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने निकल जाती है,
उसी तरह देवी सरस्वती भी अपने शिष्यों में ज्ञान का प्रकाश करने के बाद
उनपर ध्यान भी देती हैं और उनके प्रति अपनी सभी जिम्मेदारियां भी उठाती
हैं।
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